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Ram Raksha Stotra in Hindi PDF :- श्री राम रक्षा स्त्रोत PDF हिंदू धर्म में अत्यंत शक्तिशाली स्रोतमाना जाता है लोगों की मान्यता है, कि जो भी राम रक्षा स्तोत्र को कंठस्थ करता है उसकी रक्षा भगवान श्री राम जी स्वयं करते हैं। श्री राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra in Hindi PDF) को शांत मन से और स्वयं को प्रभु श्री राम जी के चरणों में समर्पित करते हुए कंठस्थ करना चाहिए। ऐसा करने से निश्चित रूप से ही हमारे जीवन में धन संपदा और कीर्ति में बढ़ोतरी होती है, साथ ही जीवन में आने वाले नकारात्मक प्रवृतियां समाप्त हो जाती हैं और व्यक्ति का जीवन सफलताओं की ओर अग्रसर होने लगता है।
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भगवान श्री राम रक्षा स्त्रोत के चमत्कार
श्री राम रक्षा स्त्रोत अपने आप में ही अनंत शक्तियों को समेटे हुए हैं। राम रक्षा स्त्रोत के पाठ को कंठस्थ करने से संसार के किसी भी कार्य को पूर्ण किया जा सकता है, किंतु इसके लिए भगवान श्री राम जी के प्रति सच्ची भक्ति और श्रद्धा की भावना होनी चाहिए। राम रक्षा स्त्रोत के चमत्कारों की कोई सीमा नहीं है, श्री राम रक्षा कवच को कंठस्थ करने वाले व्यक्ति के सारे कार्य स्वयं पूर्ण हो जाते हैं और उसके सारे पाप कट जाते हैं।

श्री राम रक्षा कवच की सिद्धि की विधि
राम रक्षा कवच की विधि अत्यंत सरल है यदि आप भगवान श्री राम रक्षा कवच को सिद्ध करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको नवरात्रि में प्रतिदिन 9 दिनों तक ब्रह्मा मुहूर्त में बिस्तर पर सोना छोड़ दें, रोज सुबह उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहन कर नित्य कर्म करें इसके पश्चात कुशा आसन पर पद्मासन,सिद्धासन और सुखासन में बैठ जाएं और यदि कुशा आसन उपलब्ध ना हो तो आप किसी अन्य आसन को भी काम मे ले सकते हैं।
इसके पश्चात भगवान श्री राम जी के प्रति अपने हृदय में भक्ति भाव जागृत करके स्वयं को प्रभु श्री राम की भक्ति में लीन कर ले राम रक्षा स्त्रोत का पाठ 11 दिनों तक नियमित रूप से रोजाना करें, यदि आपके लिए 11 दिनों तक पाठ कर पाना संभव नहीं हो तो कम से कम 7 दिनों तक श्री राम रक्षा स्त्रोत पाठ का कंठस्थ अवश्य करें। ऐसा माना जाता है प्रभु श्री राम जी के चरणों में जितनी भक्ति होगी उसे उतना ही फल मिलेगा।
Shree Ram Raksha Stotra PDF Overview
Name Of PDF | श्री राम रक्षा स्तोत्र PDF | Sri Ram Raksha Stotra PDF |
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Pages | 26 |
PDF Size in MB | 1.02 MB |
Language | Hindi – Sanskrit |
PDF Category | Religion & Spirituality |
Last Update | Now |
Source | pdffly.net |
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श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् PDF – Ram Raksha Stotra Lyrics in Hindi | Ram Raksha Stotram PDF in Hindi
|| विनियोग: ||
श्रीगणेशायनम: ।
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषि: ।
श्रीसीतारामचंद्रोदेवता अनुष्टुप् छन्द: सीता शक्ति: ।
श्रीमद्हनुमान् कीलकम् ।
श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥
॥ अथ ध्यानम् ॥
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं ।
पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ॥
वामाङ्कारूढ-सीता-मुखकमल-मिलल्लोचनं नीरदाभं ।
नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम् ॥
॥ इति ध्यानम् ॥
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥१॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥२॥
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥३॥
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥
जिव्हां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित: ।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥
करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥
सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।
ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत् ॥८॥
जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तक: ।
पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामो खिलं वपु: ॥९॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठॆत् ।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥१०॥
पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्मचारिण: ।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥
जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय: ॥१३॥
वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥१४॥
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥
आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान् स न: प्रभु: ॥१६॥
तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥
फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥१९॥
आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्ग सङिगनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: पथि सदैव गच्छताम् ॥२०॥
संनद्ध: कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् मनोरथो स्माकं राम: पातु सलक्ष्मण: ॥२१॥
रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम: ॥२२॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम: ॥२३॥
इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित: ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥
रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर: ॥२५॥
रामं लक्ष्मण-पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम् ।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम् ।
वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥२६॥
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥
माता रामो मत्पिता रामचन्द्र: ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर् ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम् ॥३१॥
लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरूपं करुणाकरन्तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥
कूजन्तं राम-रामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥३४॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥३५॥
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥३६॥
रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे,
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहम् ,
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥
॥ इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् ॥
॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥
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निष्कर्ष :-
आज इस लेख में भगवान श्री रामरक्षा स्तोत्र (Shree Ram Raksha Stotra PDF) की पीडीएफ दी गई है। जिसकी सहायता से आप भगवान श्री राम जी की भक्ति कर अपने जीवन में आने वाले दुख और कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं। राम रक्षा स्त्रोत अनंत शक्तियों का संग्रह है जिससे आप अपने जीवन की नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा पा सकते हैं और अपने हर बिगड़े काम बना सकते हैं।
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Shree Ram Raksha Stotra PDF से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न :- FAQs
राम रक्षा स्त्रोत कैसे पढ़ा जाता है?
राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करते समय स्वयं को भगवान श्री राम जी की भक्ति में लीन कर ले और अपने सामने भगवान श्री राम जी की तस्वीर रखकर राम रक्षा स्त्रोत पाठ को कंठस्थ करें, यदि आप चाहें तो राम रक्षा स्त्रोत को भगवान श्री राम जी या फिर हनुमान जी के मंदिर में कंठस्थ कर सकते हैं।
राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करने से क्या होता है?
राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करने से मंगल का कूप्रभात नष्ट हो जाता है। इसका पाठ करने से व्यक्ति के चारों ओर एक प्रकार का सुरक्षा कवच बन जाता है और वह सभी नकारात्मक शक्तियों से दूर हो जाता है और उसका जीवन सुखी में और सभी कार्य संपन्न होने लगते हैं।
राम रक्षा स्त्रोत के रचयिता कौन है?
राम रक्षा स्त्रोत के रचयिता ऋषि बुद्ध कौशिक जी है। राम रक्षा स्त्रोत के देवता श्री रामचंद्र और सीता जी है। जिसमें अनुष्टुप छंद है, सीता शक्ति का प्रतीक है और हनुमान जी कलिक है।
राम रक्षा स्त्रोत कब सुनना है?
शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि चैत्र नवरात्रि के दिन राम रक्षा स्त्रोत पाठ का अध्ययन करना सबसे शुभ होता है।
राम राम लिखने से क्या फल मिलता है?
ऐसा माना जाता है कि राम नाम जपने के अपेक्षा राम नाम लिखने से 100 गुना अधिक पुण्य मिलता है। लाल रंग की स्याही से राम राम लिखने से हनुमान जी अत्यधिक प्रसन्न होते हैं और राहु, केतु एवं शनि जैसे अशुभ ग्रहों से मुक्ति मिलती है।