Satyanarayan Katha PDF | Satyanarayan Vrat Katha PDF in Hindi

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नमस्कार दोस्तों, आज इस लेख में Satyanarayan Vrat Katha PDF सत्यनारायण व्रत कथा पीडीएफ को हिन्दी भाषा में प्रदान किया गया हैं, ताकि आपसे सरलता से पढ़ सके। श्री सत्यनारायण जी को प्रसन्न करने लिए किए जाने वाले दिव्य व्रत को सत्यनारायण व्रत कथा के नाम से जाना जाता है। सत्यनारायण व्रत की महिमा को हिंदू धार्मिक कथाओं में देखा जा सकता है।

Satyanarayan Katha PDF in Hindi
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यदि आपके जीवन में भी लगातार कोई ना कोई संकट बना ही रहता है और आप लाखों कोशिशों के बाद भी इन समस्याओं से छुटकारा नहीं पा पाते हैं, तो आपको भी सत्यनारायण कथा का आयोजन कम से कम 6 महीनों में अवश्य करवाना चाहिए और यदि आप किसी कारणवश सत्यनारायण कथा का आयोजन नहीं करवा पाते हैं तो आपको प्रत्येक गुरुवार को इस व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए।

श्री सत्यनारायण व्रत का पूजा कार्य धुले हुए वस्त्र पहनकर माथे पर तिलक लगाकर पूर्णमा या सक्रांति के दिन स्नान करके मुहूर्त पूजन में ही पूजा करनी चाहिए। भगवान सत्यनारायण जी का पूजन कार्य शुभ मुहूर्त में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके करना चाहिए। इसके बाद सत्यनारायण कथा का श्रवण अथवा वाचन करना चाहिए।

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पवित्रकरण :-

दाहिने हाथ की अनामिका ( ring finger) से नीचे लिखे हुए मंत्र को बोलते हुए बाएं हाथ में जल लेकर पूजा सामग्री और अपने ऊपर छिड़कें।

मंत्र

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः ॥
पुनः पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं ।

आसन

निचे दिए हुए मंत्र से अपने आसन पर उपरोक्त तरह से जल छिड़कें-
ॐ पृथ्वी त्वया घता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता ।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु च आसनम्‌ ॥

ग्रंथि बंधन

अगर यजमान सपत्नीक बैठ रहे हों तो नीचे दिए हुए मंत्र के पाठ से ग्रंथि बंधन करें-
ॐ यदाबध्नन दाक्षायणा हिरण्य(गुं)शतानीकाय सुमनस्यमानाः ।
तन्म आ बन्धामि शत शारदायायुष्यंजरदष्टियर्थासम्‌ ॥

आचमन

इसके पश्चात् दाहिने हाथ में पवित्र जल लेकर तीन बार कंठ करें व तीन बार कहें-

ॐ केशवाय नमः स्वाहा
ॐ नारायणाय नमः स्वाहा
माधवाय नमः स्वाहा ।
इसके पश्चात यह बोलकर हाथ धो लें-
ॐ गोविन्दाय नमः हस्तं प्रक्षालयामि ।

Satyanarayan Pooja pdf in Hindi – Overview

PDF NameSatyanarayan Katha PDF
Total Pages86
LanguageHindi
CategorySpirituality
SourceAvailable 
FormatePDF

श्री सत्यनारायण पूजा के लिए आवाश्यक सामग्री | Satyanarayan Vrat Katha PDF in Hindi 

श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा करने के लिए आवश्यक सामग्री की पूरी सूची नीचे दी गई है। जिन्हें पूजा के दौरान अपने साथ अवश्य रखें।

पूजा में कुमकुम, दुर्वा, पंचगव्य, मोली केले के पत्ते व फल के अलावा पंचामृत,, सुपारी, पान, तिल, रोली आदि इन सभी आवश्यक चीजों से भगवान की पूजा होती है।

सत्यनारायण की पूजा के लिए मेवा,केला,तुलसी पत्ता, गंगाजल,दूध,मधु आदि मिलाकर पंचामृत तैयार करे क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पंचामृत भगवान को बहुत पसंद आते हैं।

प्रसाद के तौर पर मिठाई व फल के अलावा आटे को भूनकर और उसमें चीनी मिलाकर एक प्रकार का प्रसाद तैयार किया करें जिसे सत्तू कहा जाता हैं आदि इन सभी चीजों का भोग लगाएं।

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श्री सत्यनारायण कथा के लिए कुछ अध्यायों का हिंदी में अनुवाद यहां नीचे दिया गया है जिसकी सहायता से आप इनका वाचन सरलता से कर सकते हैं।

Satyanarayan Katha PDF | श्री सत्यनारायण कथा पीडीएफ :-

प्रथम अध्याय :-

आज हम आप सभी को श्री सत्यनारायण भगवान की संपूर्ण कथा प्रस्तुत करने जा रहे है तो आइए शुरू करते हैं-

कुछ समय पहले की बात है, नैमिषारण्य तीर्थ में अट्ठासी हजार ऋषियों ने श्री सूत जी से पूछा कि हे प्रभु इस कलयुग में वेद विद्या रहित मनुष्यों को प्रभु की भक्ति किस प्रकार प्राप्त हो सकती है और उनका उद्धार कैसे हो सकता है, हे मुनि श्रेष्ठ कोई ऐसा तप बताइए जिससे कम समय में ही पुण्य मिले और इच्छित फल की प्राप्ति हो जाए, हम ऐसी ही कोई कथा सुनने की इच्छा करते हैं। इस पर सर्व शास्त्रों के ज्ञाता श्री सूत जी बोले कि हे पूज्य ऋषियों आप सभी ने प्राणियों के हित की बात पूछी है.

इसलिए मैं आप सभी को ऐसे श्रेष्ठ व्रत के बारे में बताने जा रहा हूं, जिसे भगवान नारद जी ने लक्ष्मी नारायण से पूछा था और लक्ष्मी जी ने मुनि नारद जी से कहा था कि आप सब इसे ध्यान से सुने एक समय देवर्षि नारद दूसरे प्राणियों की हित की इच्छा के लिए अनेकों लोको में घूमते हुए मृत्यु लोक में जा पहुंचे.

यहां उन्होंने अन्य योनियों में जन्मे प्रत्येक मानव को अपने द्वारा किए गए कर्मों के कारण दुखों से पीड़ित देखा। उनका दुख देखकर नारद जी ने सोचा कि कोई ऐसा यत्न किया जाए जिसको करने से मानव के जीवन से निश्चित रूप से दुखों का अंत हो जाए। किसी ऐसे विचार पर मनन करते हैं.

नारद जी विष्णु लोक में आ पहुंचे वहां पर उन्होंने देवों के देव भगवान विष्णु जी की स्तुति करने लगे जिनके हाथों में चक्र, शंख, गदा और पदम थे और गले में वैजयंती माला पहने हुए थे और नारद जी स्तुति करते हुए बोले हे भगवन आप अत्यंत शक्तियों से संपन्न है। मन तथा वाणी भी आपको नहीं पा सकती। आपका आदि, मध्य तथा अंत नहीं है.

निर्गुण स्वरुप सृष्टि के कारण आप भक्तों के सभी दुखों को हरने वाले हैं आप को मेरा सत सत नमन है नारद जी की स्तुति सुनकर भगवान विष्णु जी बोले कि हे मुनी श्रेष्ठ आपके मन में कौन सी बात है आप किस काम के लिए यहां विष्णु लोक में पधारे हैं.

आपके मन में जो भी बात है उसे निसंकोच कहिए तब नारद मुनि जी बोले मृत्यु लोक में अनेक योनियों में जन्मे मानव अपने द्वारा किए गए कर्मों के दुखों से पीड़ित हैं, हे नाथ कृपया मुझे बताएं कि मानव अपने दुखों से कैसे मुक्ति पा सकते हैं। इस पर श्री भगवान विष्णु बोले नारद तुमने प्राणियों की भलाई के लिए बहुत अच्छी बात पूछी है.

आज मैं तुम्हें ऐसी बात बताता हूं जिसेसे मानव अपने दुखों से मुक्ति पा सकता है। स्वर्ग लोक और मृत्यु लोक में एक दुर्लभ उत्तम व्रत है। जिसे करने से मनुष्य अपने दुखों से मुक्ति पा सकता है आर्यव्रत आज तुम्हें पुण्य देने वाला है

हे नारद तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न होकर आज मैं तुम्हें इस व्रत के बारे में बताता हूं। श्री सत्यनारायण भगवान का व्रत पूरी विधि पूर्वक करने से मनुष्य अपने दुखों से मुक्ति प्राप्त कर मृत्यु के समय मोह को प्राप्त करता है.

भगवान श्री विष्णु के वचनों को सुनकर श्री नारद जी ने कहा इस व्रत का विधान और फल क्या है और सबसे पहले इस व्रत को किसने ओर कब किया था और इस व्रत को करने का सही समय क्या है। हे भगवान कृपा मुझे विस्तार से बताएं इस पर नारद जी की बात सुनकर श्री हरि विष्णु जी ने बोला।

मानव को सत्यनारायण भगवान जी की पूजा भक्ति और श्रद्धा के साथ शाम के समय धर्म परायण होकर बंधुओं एवं ब्राह्मणों के साथ करनी चाहिए। भक्ति भावना से भक्ति करने के साथ-साथ ऊपर बताए गई पूजा सामग्री को लेकर भगवान को भोग लगाएं।

भगवान सत्यनारायण की भक्ति में भजन कीर्तन के साथ भक्ति में लीन हो जाए और स्वयं भोजन करने से पहले बंधुओं एवं ब्राह्मणों को भोजन करवाएं उसके बाद ही स्वयं भोजन करें। इस प्रकार भगवान सत्यनारायण जी की पूजा करने से मानव अपने दुखों से मुक्ति पा सकता है और उसकी इच्छाएं निश्चित रूप से पूरी होने की आशाएं बढ़ जाती हैं।

इसके साथ ही भगवान सत्यनारायण कथा का पहला अध्याय पूरा हुआ यदि आप सत्यनारायण कथा का और भी अध्याय जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख से बने रहें और हमें कमेंट करके बता सकते हैं कि आपको कौनसा अध्याय जानने की इच्छा है।

सारांश:- Satyanarayan Katha PDF

आज इस लेख में Satyanarayan Katha PDF की विस्तृत जानकारी दी गई है जिसके माध्यम से आप सत्यनारायण कथा की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में आने वाली समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं साथ ही इसमें भगवान सत्यनारायण की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री और आसन, मंत्र, पवित्रीकरण, ग्रंथि बंधन और आचमन की भी जानकारी दी गई है। इस लेख में सत्यनारायण कथा का पहला अध्याय की भी जानकारी दी गई है और यदि आप अन्य अध्यययों की भी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके बता सकते हैं।

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