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चाणक्य नीति के बारे में आप सभी ने तो काफी सुना होगा इनके विचार मनुष्य को समझदार और चलाक बना देते है इसलिए काफी लोगो को chanakya niti book पढने का मन रहता है। यदि आप भी chanakya hindi pdf की तलाश में है तो आप बिल्कुल सही जगह पर है। इस पोस्ट के माध्यम से हम Chanakya Niti In Hindi PDF Book उपलब्ध कराने जा रहे हैं जिसे आप नीचे दिए गए लिंक की मदद से प्राप्त कर सकते हैं।
चाणक्य का दूसरा नाम कौटिल्य भी है यह सदी के सबसे महान और क्रांतिकारी लोगों में से एक थे। कौटिल्य महान अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ कूटनीति, राज्यव्यवस्था और अनेक विषयों में इनको महारत भी हासिल थी। चाणक्य की नीतियां कमाल की थी, आज भी मानव जीवन में “चाणक्य निति” उतनी ही उपयोगी है जितनी हजारों साल पहले थी इसलिए हम Chanakya Niti In Hindi PDF Book देने जा रहे है और साथ ही उनके कुछ नीतियों को विस्तार से समझेंगे।
Chanakya Niti In Hindi PDF Book – सम्पूर्ण चाणक्य नीति
नीति का अर्थ है – ” जो आगे ले जाए” मनुष्य अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कई नियम और प्लान बनाता है ‘ सुव्यवस्था’ भी नीति का ही अर्थ है। ‘नीति’ का इतिहास मानव सभ्यता के विकास से जुड़ा हुआ है। अपने क्षेत्र, जाति, अपने आप को विकसित करने के लिए और अस्तित्व में बने रहने के लिए नीति प्रकृति के साथ सभी प्राणियों में भी देखा जा सकता है।

नीति शास्त्र में शुक्राचार्य, आचार्य चाणक्य, आचार्य बृहस्पति, महात्मा विदुर जैसे और कई महान व्यक्तियों को इसमें पारंगत हासिल है। आचार्य चाणक्य ने श्लोक और सूत्र दोनों रूपों में अपने नीतियों का वर्णन किया है जिसे आप नीचे दिए गए Chanakya Niti In Hindi PDF Book में पढ़ सकते हैं।
आचार्य चाणक्य राजनीतिक और अर्थशास्त्र के महान ज्ञाता हैं। इनके जीवन को पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि सत्य को समझना ही केवल पर्याप्त नहीं है बल्कि अन्याय के विरुद्ध भी संघर्ष किया जाए। अन्याय होते देख चुप रहना साहसी और पराक्रमी व्यक्ति का स्वभाव नहीं होता ऐसे व्यक्तियों के लिए तो कुटिलता का नाटक कर पाना भी संभव नहीं होता है।
लेकिन आचार्य चाणक्य ने यह सिद्ध कर दिया कि अपने स्वभाव में रहते हुए अर्थात सज्जन बने रहते हुए भी दुष्टों को उनकी भाषा में जवाब दिया जा सकता है। श्री कृष्ण और श्री राम जैसे महान पुरुष इसका उदाहरण हैं लेकिन इसके लिए मन को प्रशिक्षित करना जरूरी है। श्री कृष्ण जी ने धर्म युद्ध में ‘अधर्म’ का भी प्रयोग किया और धर्मराज युधिष्ठिर से झूठ बोलने के लिए भी उत्साहित किया ऐसा इसलिए क्योंकि दुष्टों का विनाश होना चाहिए भले ही साधन कोई भी हो।
चाणक्य का कौटिल्य बनना लोगों के भले के लिए ही था। चाणक्य का सपना था अखंड भारत इसके लिए उन्होंने अपनी नीतियों से शत्रु को उन्हीं के चाल से मात दी चाणक्य द्वारा ‘आत्मरक्षा’ का यह अंतिम अभियान था यदि वह इसमें तनिक भी चूक जाते तो वर्तमान में भारत का स्वरूप कैसा होता यह आप समझ सकते हैं। चाणक्य नीति कितनी कारगर है यह आपको chankya niti book pdf पढने के बाद ही पता चलेगा।
Chankya Niti Book PDF – Overview
PDF Name | Chanakya Niti In Hindi PDF Book |
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No. of Pages | 375 |
PDF Size | 4 MB |
Language | Hindi |
PDF Category | eBooks |
Source | drive |
Formate | |
Link | Available ✔️ |
सम्पूर्ण चाणक्य नीति हिंदी में | Complete Chanakya Neeti In Hindi PDF
कौटिल्य की “चाणक्य निति ” जितनी कारगर हजारों साल पहले थी उतना ही आज भी है। यदि आप भी चाणक्य नीति को अपने जीवन में उतारते हैं तो निश्चिंत ही कई बदलाव देख सकेंगे। नीचे हमने चाणक्य नीतियों को विस्तार से समझाने की कोशिश की है जिसे आपको भी अपने जीवन में उतारना चाहिए।
मनसा चिन्तितं कार्य वाचा नैव प्रकाश्येत । मन्त्रेण रक्षायेद गूढ़ कार्य चाऽपि नियोजयेत ।।
चाणक्य कहते हैं अपने मन में सोचे हुए किसी भी कार्य को दूसरों को नहीं बताना चाहिए, अपने मन को दृढ़ रखते हुए अपने विचारों की रक्षा करनी चाहिए और चुप रहते हुए उस सोचे हुए बात को कार्यरूप में बदल देना चाहिए।
कश्य दोष कुले नास्ति व्याधिना को न पंडित । व्यसन केन न समप्राप्त कस्य सोंख्य निरंतर ।।
संसार में ऐसा कोई कुल अथवा व्यक्ति नहीं है जिसमें कोई दोष ना हो सभी में कोई न कोई दोस्त अवगुण होता ही है। प्रत्येक व्यक्ति को किसी ना किसी तरह के रोग का सामना करना ही पड़ता है, ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो सदा सुखी हो क्योंकि प्रत्येक के जीवन में संकट आते ही हैं।
आचार्य ने ठीक ही कहा है विरला ही कोई व्यक्ति अथवा वंश हो, जिसमें कोई दोष ना हो जो व्यक्ति बुरे संगत, लत में पड़ जाता है या कोई बीमारी या संकट आ जाता है तो उसे इस दुख घड़ी का सामना करना ही पड़ता है चाहे उसकी इच्छा हो या ना हो अर्थात कोई भी मनुष्य पूर्ण रूप से सुखी नहीं है कोई न कोई दुख लगा ही हुआ है।
आचार: कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषाणम् । सम्भ्रम: स्नेहमाख्याति वपुख्याति भोजनम् ।।
मनुष्य के व्यवहार से उसके ज्ञान का पता चलता है। मनुष्य की बोलचाल कैसी है इससे वह व्यक्ति कहां का रहने वाला है, लोगों को मान सम्मान किस प्रकार का देता है मनुष्य के वाणी से उसके चरित्र का पता चल जाता है।
यह वास्तविकता है कि हमारे व्यवहार से हमारे ज्ञान भली-भांति झलकता है। उसी प्रकार मनुष्य की भाषा और बोलचाल से उसके देश अथवा रहने के स्थान का पता चलता है मनुष्य की वाणी बोलने का प्रकार से स्पष्ट हो जाता है कि उसका स्वभाव कैसा है। ठीक उसी प्रकार मनुष्य की बनावट देख उसके खान-पान कभी अंदाजा हो जाता है।
दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जन: । सर्पो दशन्ति कालेन दुर्जनस्तु पदे पदे ।।
दुष्ट व्यक्ति और सांप यदि दोनों में से किसी एक का चुनाव करना हो तो दुष्ट व्यक्ति की अपेक्षा सांप को ही चुनिए क्योंकि सांप समय आने पर ही डसेगा, जबकि दूसरे व्यक्ति हर समय हानि पहुंचाता रहेगा।
यह वास्तविकता है कि दुष्ट व्यक्ति सांप की तुलना में अधिक हानिकारक होता है। क्योंकि सांप तो समय आने पर आत्मरक्षा के लिए ही आक्रमण करेगा, परंतु एक दुष्ट व्यक्ति अपने स्वभाव के कारण सदैव किसी ना किसी प्रकार आपको हानि पहुंचाता रहेगा।
मुर्खस्तु परिहर्तव्य: प्रत्यक्ष द्विपद: पशु: । भिन्ती वाक्यशल्येन अद्ष्ट कण्टको यथा ।।
अर्थात मूर्ख व्यक्ति से हमेशा चार कदम दूर रहना चाहिए, क्योंकि ऐसा व्यक्ति मनुष्य दिखता हुआ भी दो पैरों वाले पशु के समान है। वह सज्जनों को उसी प्रकार कष्ट देता है, जैसे शरीर में डूबा हुआ कांटा शरीर को निरंतर पीड़ा देता रहता है।
कांटा छोटा होने के कारण शरीर के अंदर चला जाता है और शरीर में धंस कर निरंतर पीड़ा देता रहता है। मूर्ख की भी ठीक यही स्थिति है वह भी अनजाने में दुख और पीड़ा का कारण बनता है अक्सर लोग मूर्ख की ओर ध्यान नहीं देते दे उसे साधारण मनुष्य की तरह ही समझते हैं।
कोकिलाना स्वरों रूप स्त्रीणा पवित्रतम । विद्या रूपी कुरुपाणा समरूपी तपस्वीनाम ।।
कोयल का सौंदर्य उसके स्वर में है, उसकी मीठी आवाज में है, स्त्री का सौंदर्य उसकी पवित्रता में है, कुरूप लोगों का सौंदर्य उनके विद्वान होने में है और तपस्वीयों की सुंदरता उनके क्षमावान होने में है।
अर्थात व्यक्तियों का सौंदर्य उनके गुणों छिपा हुआ होता है जिस प्रकार कौवा और कोयल दोनों काले होते हैं परंतु कोयल की मीठी आवाज सबको पसंद है। इसी प्रकार पवित्र स्त्री ही सुंदर मानी जाती है स्त्रियों का सौंदर्य उनका पवित्र धर्म है शरीर में कोई दोष होने के बाद भी विद्या के कारण कुरूप व्यक्ति आदर का पात्र बन जाता है और तप करने वाले व्यक्तियों की शोभा उनकी शहन शीलता है।
त्त्यजेदेकं कुलस्याऽथे ग्रामस्याऽथे कुलं त्त्यजेत । ग्रामं जनपदस्याऽथे आत्माऽथे पृथिवीं त्यजेत ।।
यदि एक व्यक्ति को छोड़ (त्याग) देने से कुल की रक्षा होती है, उन्नति होती है सुख शांति मिलती है तो ऐसे व्यक्ति को छोड़ देना ही उचित है, ग्राम के हित के लिए कुल छोड़ देना चाहिए और यदि गांव को छोड़ने से पूरे जिले का कल्याण हो तो उस गांव को भी छोड़ देना चाहिए। इसी प्रकार आत्मा की उन्नति के लिए सारे भूमंडल को त्याग देना ही उचित है।
को हि भार: समर्थानां कीं दूरं व्यवसायिनाम । की विदेश: सविधाना क: पर: प्रियवादिनांम ।।
समर्थ अथवा बुद्धिमान व्यक्ति के लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं होता, व्यापारियों के लिए कोई भी स्थान दूर नहीं होता पढ़े-लिखे विद्वान व्यक्तियों के लिए कोई भी स्थान विदेश नहीं इसी प्रकार जो मधुरभाषी है उसके लिए कोई पराया नहीं।
वह व्यक्ति जो समर्थन है और शक्तिशाली बुद्धिमान है उसके लिए कोई भी काम पूरा करना कठिन नहीं वह प्रत्येक कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लेगा। व्यापारी व्यक्ति अपना व्यापार को बड़ा करने के लिए दूर-दूर तक विदेशों में जाता है। विद्यमान व्यक्तियों के लिए कोई परदेस नहीं वह जहां भी जाएगा अपने बुद्धिमानी के कारण सम्मान ही पाएगा और मधुर भाषा बोलने वाला व्यक्ति पराए लोगों को भी अपना बना लेता है।
Chanakya Niti In Hindi PDF Book से सम्बंधित प्रश्न
प्रश्न : चाणक्य की तरह कैसे सोचें?
आचार्य चाणक्य का मानना था कि हमें अपनी सोच की गहराई तक जाना चाहिए सबसे पहले हमें यह तय करना होगा कि हम क्या चाहते हैं और सबसे जरूरी क्यों जाते हैं यदि आप पता कर लेते हैं कि आप क्यों करना चाहते हैं तो सब ठीक हो जाएगा।
प्रश्न : कैसे लोगों से दूर रहना चाहिए?
हमें हमेशा बुरे चरित्र वाले दुष्ट व्यक्तियों से दूर रहना चाहिए क्योंकि ऐसे व्यक्तियों के संगत में रहने से हमेशा अपमानित होना पड़ता है एक दुष्ट व्यक्ति हमेशा आपको परेशानी में ही डालेगा।
प्रश्न : चाणक्य के अनुसार सफलता क्या है?
सभी लोगों के अनुसार सफलता की परिभाषा अलग-अलग होती है कोई व्यक्ति धनवान बनना चाहता है तो कोई अपने मन चाहा नौकरी किसी को प्रसिद्ध होने की इच्छा है तो कोई समाज में मान सम्मान इज्जत पाना चाहता है।
प्रश्न : चाणक्य की विशेषता क्या है?
आचार्य चाणक्य एक अर्थशास्त्री, स्वाभिमानी, तीक्ष्ण बुद्धि संयमी, पक्के इरादे वाले एक विद्वान व्यक्ति थे वह सदी के सबसे महान व्यक्तियों में से एक थे।
सारांश
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने Chanakya Niti In Hindi PDF Book के बारे में जाना है साथ ही हमने कौटिल्य के चाणक्य नीतियों को भी समझने की कोशिश की है। चाणक्य की नीतियां ऐसी हैं जिन्हें यदि आप अपने जीवन में उतारते हैं तो निश्चित ही बदलाव पाएंगे इसलिए आपको भी chanakya niti book pdf के माध्यम से कौटिल्य के नीतियों को जरूर पढ़ना चाहिए। यदि आपका कोई प्रशन है तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं, धन्यवाद।
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